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Crime

एक सामान्य लड़की ने विधायक बनकर लिया अपने पति का बदला

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प्रयागराज, उत्तर प्रदेश।
इलाहाबाद शहर की पश्चिम विधानसभा सीट से अतीक अहमद के इस्तीफा देने के बाद यहां उपचुनाव हुआ, जिसमें अतीक अहदम का भाई और राजू पाल ने किस्मत आजमाई। उपचुनाव के परिणाम ने उत्तर प्रदेश की राजनीति में भूचाल ला लिया जो आज तक भी शांत नहीं है। बीच सड़क विधायक को 16 गोलियां मारीं तो एक झाडू पौंछा करने वाली विधायक बन गई और इलाहाबाद के बाहुबली की 375 करोड़ रुपये से ज्यादा की संपत्ति को बर्बाद कर दिया गया।
यूपी इलाहाबाद जनपद के नीमा गांव में रहने वाले साधारण से दिखने वाले राजू पाल पढ़ाई में कम और गुंडागर्दी में ज्यादा दिलचस्पी लेते थे। साल 1992 में उन पर पहला मुकदमा दर्ज हुआ। 8वीं की पढ़ाई छोड़ने के बाद वह गुंडागर्दी में पड़ गया। कई बार उसने बाहुबली विधायक अतीक अहमद के गुर्गों पर भी हमला किया, लेकिन अतीक अहमद ने कभी भी राजू पाल को गंभीरता से नहीं लिया। अतीक अहमद अपने सुनहरे भविष्य की नींव रख रहा था। वह लगातार विधायक चुना जा रहा था और सपा ने उसको एक मौका सांसद बनने का। साल 2004 में उसने इलाहाबाद शहर की पश्चिम विधानसभा सीट से इस्तीफा दे दिया और फूलपुर सीट से लोकसभा का चुनाव लड़ा। पहली बार सांसद चुने जाने बाद उसका कद बढ़ गया। इस कद को वह और भी बढ़ाना चाहता था। इसके लिए विधायकी अपने परिवार को सौंपने की जल्दबादी में बड़ी चूक कर बैठा।
अतीक अहमद के इस्तीफे के बाद अक्टूबर 2004 में शहर की पश्चिम विधानसभा सीट पर उपचुनाव हुआ, जिसमें समाजवादी पार्टी ने अतीक अहमद के भाई अशरफ को टिकट दे दिया, जबकि बसपा ने राजू पाल पर अपना दांव चला। उपचुनाव के चौकाने वाले परिणाम आए। किसी ने सोचा भी नहीं था कि छुटपुट गुंडागर्दी करने वाला राजू पाल शहर का विधायक बन जाएगा। यह बात अतीक अहमद और उसके गुर्गों को परेशान करने लगी। इसके बाद प्लानिंग के तहत विधायक की हत्या की स्क्रिप्ट तैयार की गई।
—विधायक के सीने को चीर गईं 16 गोलियां
विधायक चुने जाने के बाद राजू पाल पर पहला हमला 21 नवंबर 2004 को हुआ और वह बच गए। 28 नवंबर 2004 को दूसरा हमला हुआ, जिसमें राजू पाल के गनर और साथी को गोली लग गई। इतना होने के बाद न तो सरकार ने गंभीर कदम उठाया और न ही विधायक राजू पाल ने सुरक्षा बढ़ाई। किस्मत हर बार साथ नहीं देती। 25 जनवरी 2005 की दोपहर करीब 3 बजे वह एसआरएन होस्पिटल से घर वापस आ रहे थे। तभी इलाहाबाद कानपुर मार्ग पर सुलेमसराय जीटी रोड पर मारूति वैन सवार चार लोगों ने हमला कर दिया। गाड़ी को ओवरटेक करके ताबड़तोड़ गोलियां चलाई। जिसमें विधायक को 16 गोलियां लगीं और संदीप यादव, देवीलाल की भी मौत हो गई।
—शहर में जाम तोड़फोड़, आक्रोश
विधायक की हत्या से गुस्साए लोगों ने शहर को जाम कर दिया तोडफोड़, आगजनी जैसा माहौल हो गया। विधायक समर्थकों ने विधायक की बॉडी को मोचर्री से उठाकर चक्का जाम कर दिया। हालात बिगड़ते देख पुलिस ने गुपचुप तरीके से दारागंज में रातोंरात शव का अंतिम संस्कार करवा दिया। इस दौरान समाजवादी पार्टी की सरकार चल रही थी और पुलिस और पीएसी ने किसी तरह हालात को शांत कराया।
—पूजा पाल से मुलाकात और शादी
एक बार राजू पाल अपने साथियों के साथ एक होस्पिटल में मरीजों से मिलने जा रहे थे। होस्पिटल में झाडू पौंछा करने वाली एक लड़की को देखते ही उसको दिल दे दिया। तभी राजू पाल ने फैसला किया कि वह उसी से शादी करेगा। गरीब घर की लड़की से राजू पाल ने शादी करके अपनी जिंदगी का सफर शुरू ही किया था कि उस पर एक के बाद एक हमले ने मौत की आगौश में हमेशा के लिए सुला दिया।
—पति की हत्या का पूजापाल ने लिया बदला
शादी को अभी 9वां दिन था पूजा पाल ने धूमनगंज में फूलपुर के सांसद अतीक अहमद, उसके भाई अशरफ, फरहान, आबिद, रंजीतपाल, गुफरान समेत कुल 9 लोगों पर धारा 147, 148, 149, 307, 120बी, 506 आईपीएस और 7 सीएलए एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज करवाया।
—पूजा पाल को मिला मायावती का साथ
विधायक राजूपाल की हत्या के बाद पश्चिम विधानसभा सीट एक बार फिर से खाली हो गई। जून 2005 को यहां फिर उपचुनाव हुआ। सपा ने अतीक अहमद के भाई अशरफ और बसपा ने राजू पाल की पत्नी पूजा पाल पर दांव खेला, लेकिन पूजा पाल उपचुनाव हार गईं। वर्ष 2007 में फिर से विधानसभा चुनाव में मायावती ने स्वयं जाकर पूजा पाल को टिकट दिया और वह विधानसभा सदस्य चुनीं गईं।
—अतीक अहमद की 375 करोड़ की संपत्ति बर्बाद
मायावती के मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने अतीक अहमद की गिरफ्तारी के आदेश दिया। साथ ही अवैध रूप से कब्जाई संपत्तियों का ब्यौरा एकत्र किया। एक ओर संपत्ति को जब्त किया तो दूसरी ओर खुद को घिरता देख अतीक अहमद ने दिल्ली में सरेंडर कर दिया। इसके बाद 2017 में योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने अतीक अहमद की बर्बादी की इबारत लिख दी। दोनों सरकारों में करीब 375 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त या नष्ट कर दी गई।
—इंसाफ का इंताजार अभी बाकि है
भले ही अतीक अहमद गुजरात की सावरमती सलाखों के पीछे है और उसका भाई बरेली यूपी जेल में है, लेकिन 25 जनवरी 2005 को विधायक राजू पाल हत्याकांड में कोर्ट का अभी तक अंतिम निर्णय नहीं आ सका है। इसलिए इलाहाबाद के लोगों को आज भी इंसाफ का इंतजार है।