प्रयागराज, उत्तर प्रदेश 7 अगस्त 2002 का यह वाक्य है अतीक अहमद को इलाहाबाद की एक अदालत में पेश करने के लिए लाया गया था जैसे ही उनका बज्र वहां कोर्ट परिसर में आकर रूकता है इसी बीच में आसपास के लोगों के देखने वालों का तांता भी लग जाता है तुरंत ही भीड़ में से एक व्यक्ति बम निकालता है और उस बज्र वाहन पर फेंकके मार देता है जैसे ही वाहन पर वह बम आकर फटता है तो चारों तरफ धुआं धुआं हो जाता है आसपास भगदड़ मच जाती है अब पुलिस वाले हो या फिर वकील हो या भीड़ हो जो भी देख रहा था वह अपनी जान बचाने के लिए इधर उधर भाग रहा था
इसमें इंस्पेक्टर एक सिपाही और अतीक अहमद घायल हो जाते हैं जैसे ही यह सूचना पूरे शहर में फैलती है उसमें लोगों में गुस्सा बढ़ जाता है और सबसे ज्यादा गुस्सा हुए थे वकील क्योंकि कोर्ट परिसर के अंदर इस तरह से बमबारी होना अपने आप में बहुत बड़ी बात होती है पुलिस को सूचना मिलती है पुलिस खुद परेशान थी कि आखिरकार यह हुआ क्या है?
देखते ही देखते शहर के कर्नलगंज टाउन एरिया है कोतवाली शाहगंज, धूमनगंज, खुल्दाबाद जैसे कई जगहों पर हिंसा फैल जाती है जब लोग आपस में एक दूसरे को मरने मारने पर उतारू हो जाते हैं हद तो तब हो जाती है जब कई जगह आगजनी फैल जाती है अतीक अहमद को उपचार के लिए हॉस्पिटल लाया जाता है और मीडिया वाले उनके पास पहुंचते हैं तो पूछते हैं कि भाई जी क्या हुआ? कैसे हुआ? वह कहते हैं कि मुझे एक आईपीएस ऑफिसर है लाल जी शुक्ला जो कि मुझे मरवाना चाहता है इसीलिए उसने बमबारी कराई थी… पूरी कहानी जानने के लिए नीचे वीडियो पर क्लिक करें