यह बात साल 1972 की है अमेरिका से एक हवाई जहाज लगभग 104 मुसाफिरों को लेकर उड़ता है और जैसे ही उसने मेक्सिको के लिए अभी उड़ान भरी ही थी कि अंदर से आवाज लगती है कि इस प्लेन को हाईजैक कर लिया गया है हाईजैक की जैसे ही सूचना मुसाफिरों को लगती है पायलट को लगती है या क्रू मेंबर को लगती है तो हड़कंप मच जाता है लोग सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कि आखिरकार अब आगे क्या होगा और ये क्या कहने वाले हैं तभी हाईजैकर्स बोलते हैं कि इस हवाई जहाज को यहां से क्यूबा की तरफ लेकर जाया जाए ना कि मेक्सिको की तरफ जैसे ही पायलट ने ये बात सुनी पायलट ने कहा कि ऐसा नहीं हो सकता और पायलट ने इसका विरोध करने की कोशिश की तो उसके साथ मारपीट की गई
हाईजैकर्स ने साफ-साफ बोल दिया था कि अगर तुमने हमारी बात नहीं सुनी तो तुम और तुम्हारे मुसाफिर जितने भी हैं वह नुकसान उठा जाएंगे इसलिए पायलट की मजबूरी बन जाती है और क्यूबा ये हवाई जहाज चला जाता है जैसे ही क्यूबा हवाई जहाज़ जाता है तो पायलट के माध्यम से सरकार से एक विनती की जाती है बल्कि कह सकते हैं कि एक आदेश आत्मक बात कही जाती है कि 104 मुसाफिरों की ज़िंदगी का सवाल है अगर इन्हे छुड़ाना चाहते हो तो हमें एक करोड़ रुपए साथ ही हमें हमारा एक साथी है जो बैंक रॉबरी यानी कि बैंक डकैती में पकड़ा गया है उसको रिहा कर दिया जाए
सरकार को कई दिन लग जाते हैं और कई दिन के बाद आखिरकार सरकार को झुकना पड़ता है और उन हाईजैकर्स की जो बातें थी वह मान ली जाती है इसी 104 मुसाफिरों में एक वैज्ञानिक होता है वह भी सफर कर रहा था वैज्ञानिक के मन में कुछ और बात चल रही थी और बाकी जो मुसाफिर होते हैं उनके दिमाग में सिर्फ यह चल रहा था की किसी भी तरकीब से हमारी जान बच जाए हम अपने घर पहुंच जाए परिवार के पास पहुंच जाए… पूरी कहानी जानने के लिए नीचे वीडियो पर क्लिक करें