गाज़ीपुर, उत्तर प्रदेश 14 अक्टूबर 2005 के दिन का यह संबंध था दिन की बात थी शहर को न जाने किसकी नजर लग जाती है और शहर में देखते ही देखते दंगा भड़क जाता है दंगा कुछ इस कदर भड़कता है कि लोग सड़कों पर उतर आते हैं और एक दूसरे के खून के प्यासे हो जाते हैं हिंदू मुसलमान को मारना चाहते थे और मुसलमान हिंदुओं को मारना चाहते थे किसी के हाथ में हथियार था तो किसी के हाथ में चाकू थे कोई कट्टा चला रहा है तो कोई पथराव कर रहा है और देखते देखते शहर के अलग-अलग हिस्सों में आग लगनी शुरू हो जाती है अब यहां से घायलों को हॉस्पिटल ले जाया जा रहा था और अस्पताल में कुछ लोग दम तोड़ रहे थे
पहले एक मरता है फिर दूसरा फिर तीसरा और यह संख्या बढ़ते बढ़ते 15 तक पहुंच जाती है बड़ी संख्या में लोग घायल थे और लोग लगातार मर भी रहे थे अब इसी बीच में पुलिस और प्रशासन सक्रिय होता है तो पता चलता है कि 15 लोगों में जो मरे हैं उसमें से आठ हिंदू हैं और सात मुसलमान है इसी बीच में किसी ने यह अफवाह फैला दी कि जिन लोगों का इलाज चल रहा है यहां भी दंगाई पहुंच रहे हैं और दंगाई लोग मार डालेंगे लोग बड़ी गंभीर रूप से घायल थे लोगों ने अपनी जान बचाकर यहां से भागने में ही भलाई समझी और इसके कुछ देर के बाद पता चलता है कि मऊ सदर विधायक मुख्तार अंसारी अपनी खुली जीप में ऐसे शहर का जायजा ले रहे थे जैसे के डीएम और एसएसपी पुलिस फोर्स के सामने जायज़ा लेते हैं कि आप इसके सामान्य हैं कि नहीं हैं
पुलिस ने जब मामले की जांच पड़ताल करनी शुरू की तो पता चलता है कि सदर विधायक मुख्तार अंसारी तो आरोपी हैं इन पर ही तो दंगा भड़काने का आरोप लगा है मीडिया ने इस मामले की बड़ी पुरजोर तरीके से जब रिपोर्टिंग करना शुरू किया है और सरकार पर दबाव बना पुलिस और प्रशासन पर जब दबाव बनता है तो आखिरकार पुलिस प्रशासन ने अपना काम करना शुरू किया और सदर विधायक मुख्तार अंसारी ने जाकर सरेंडर कर दिया कहा कि साहब जांच कर लीजिए अगर मैं दोषी हूं तो आप मेरे मामले में कार्रवाई करना… पूरी कहानी जानने के लिए नीचे वीडियो पर क्लिक करें