कहते हैं कि इंसान कुछ भी बर्दाश्त कर सकता है लेकिन अगर बर्दाश्त नहीं कर सकता तो वह भूख बर्दाश्त नहीं कर सकता भले ही चाहे किसी के घर में कितने ही प्रिय व्यक्ति की मौत ही क्यू ना हो जाए लेकिन जब वक्त जैसे-जैसे आगे बढ़ता है वैसे-वैसे भूख की सीमा बढ़ जाती है और वह सारे दुख दर्द तकलीफ को भूलकर सबसे पहले खाना खाने की कोशिश करता है आज की कहानी जो हम आपको सुनाने जा रहे हैं इस कहानी में बिल्कुल ऐसा ही होता है
कुछ लोगों का ग्रुप था कहीं घूमने के लिए निकला था और अचानक ही हादसा हो जाता है और वह लोग ऐसी जगह पर फंस जाते हैं जहां से निकलकर लौटकर आना बहुत मुश्किल हो जाता है ऐसी स्थिति में कई लोगों की मौत हो जाती है और उनके पास जो खाना पीना था वह पूरी तरह से खत्म हो जाता है अब उन लोगों ने सोचा करें तो क्या करें तभी दो दोस्त उनमे बैठे थे आपस में बातचीत कर रहे थे एक दोस्त ने दुसरे दोस्त में बातचीत करते हुए कहा उसके हाथ में चोट लगी थी उसमें कुछ खुरंट जमा हुआ था जो चोट के बाद जो जम जाता है उसने उसको छुटाया छूटाने के बाद मुंह में देते हुए कहा यदि हमें जिंदा रहना है जीवित रहना है तो जो हमारे मरे हुए साथी हैं मरे हुए परिवार के लोग हैं उनमें से हमे उन्हें काटकर खाना ही पड़ेगा
यदि हम उन्हें खाएंगे नहीं तो हम भी ऐसे ही मर जाएंगे जैसे उसके दोस्त ने यह बात सुनी उसके दोस्त को यकीन नहीं हुआ यह किस तरह की बातें कर रहा है वो बीचमे से उठता है जाता है एक लाश के कुछ टुकड़े काटकर खा जाता है खाने के बाद उसके दोस्त को इस बात का पता चल जाता है बाकी जो जीवित लोग थे जब इस बात का उनको पता चलता है तो कुछ लोगों ने एतराज भी किया लेकिन कुछ लोगों ने कहा कि जिंदा रहना है तो खाना होगा यानी कि जो मरे हुए लोग हैं उनका खाना ही पड़ेगा
जो लोग इस तरह से कर रहे थे वक्त आगे बढ़ रहा था उनकी मदद की उम्मीद बढ़ रही थी की कोई आएगा बचा के ले जाएगा लेकिन कोई मदद नहीं आती और धीरे-धीरे करके लगातार वो मरे हुए लोगों को काटकर खाना शुरू कर देते हैं वक्त बीत जाता है आज कहानी इसी विषय पर है की वो कितने लोग थे कहां जा रहे थे क्या हुआ था और कैसे बचे कितने बचे इसे पूरी कहानी पर हम आज चर्चा करने की कोशिश करेंगे … पूरी कहानी जानने के लिए नीचे वीडियो पर क्लिक करें