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10 घंटे से रखी हुई मां की लाश को बेटियों ने क्यों दफन नहीं होने दिया

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मथुरा, उत्तर प्रदेश
कई साल पुरानी बात है नेशनल हाईवे 91 पर मैं पीछे-पीछे चल रहा था मुझसे आगे एक सर्किल ऑफिसर शैलेंद्र कुमार श्रीवास्तव की गाड़ी चल रही थी उनके आगे एक बाइक जा रही थी और इसी बीच में एक तेज गति से ट्रक आता है और ट्रक से उस बाइक सवार की टक्कर हो जाती है सर्किल ऑफिसर ने उस बाइक सवार को उठाया अपनी गाड़ी में डाला और सीधा जिला अस्पताल लेकर चले जाते हैं इसके बाद मैं भी इस दृश्य को देख रहा था तो मैं भी पीछे-पीछे उस गाड़ी के जाता हूं वहां जाने के बाद पता चलता है कि इसके परिवार को सूचना दी जाती है वह इकलौता बेटा था अपने मां-बाप का पिता उसके पहले ही गुजर चुके थे और मां जैसे ही खबर मिलती है तो माँ सीधा पहुंच जाती है उसने मोर्चरी हाउस में जहां पर लाश रखी हुई थी

मां की आंख में अभी तक एक भी आंसू नहीं था लेकिन सबसे पहले मां आती है और आने के बाद जो डेड बॉडी थी उसके बेटे की उसके सीने पर हाथ मारती है और सीने पर हाथ मारने के बाद यह कंफर्म करने की कोशिश कर रही थी कि इसने जो सोने की चेन पहनी हुई थी क्या अभी बाकी है या फिर वो किसी ने उतार ली है सोने की चेन जैसी थी वैसी की वैसी उसके गले में डली हुई थी उसने उस सोने की चेन को खोला उसके बाद में उसके हाथ में सोने की अंगूठियां भी थी वह सोने की अंगूठियां भी माँ ने उतार ली उतारने के बाद जब कंफर्मेशन हो जाता है वह पास में खड़ी हुई एक और महिला से पूछती है कि इसका जो सोना था वह पूरा है कि नहीं है वह दूसरी महिला कहती कि हां बिल्कुल पूरा है

तब उसके बाद फिर वो अपना रोना धोना शुरू करते हैं तब वह विलाप करते हैं दरअसल यह एक चेहरा मां का है अपने बेटे के प्रति बेटा मर चुका था वह भी इकलौता था और उसके तन पर सोना था उसको निकालने के बाद तब माँ की आंखों से आंसू गिरते हैं आज की कहानी जो हम आपको सुनाने जा रहे हैं यह कहानी इससे भी ज्यादा भयानक है सुनाने के बाद शायद आपको ऐसा महसूस होगा कि इस दौर में अब इंसानियत कहीं बची ही नहीं है… पूरी कहानी जानने के लिए नीचे वीडियो पर क्लिक करें