फर्रुखाबाद, उत्तर प्रदेश कहते हैं कि सरकारें आती हैं सरकारें जाति हैं पुलिस हो या प्रशासन हो उसकी व्यवस्थाएं लगातार बदस्तूर चलती रहती हैं मुखोटे बदल जाते हैं व्यवस्थाएं लगातार चलती रहती हैं यह भी कहा जाता है कि जब कोई ईमानदार ऑफिसर जिले में कप्तान बन के आता है तो आने हो जा चौकी हूं उनमें पोस्टिंग के लिए कोई पैसा नहीं लिया जाता।
लेकिन कई बार ऐसा होता है कि कोई भ्रष्ट अधिकारी कप्तान बनकर आ जाता है तो जो चुनिंदा थाने होते हैं अच्छे थाने होते हैं उनकी फिर बोली लगाई जाती है जो ज्यादा पैसा देता है उसको फिर चार्ज दिया जाता है और ऐसे ही बोली के चक्कर में ऐसे ही चार्ज देने के चक्कर में ऐसे ही पैसे वसूली के चक्कर में बात कुछ इस तरह खराब होती है कि मामला फिर विधानसभा में घूमता है और पक्ष विपक्ष पर हावी हो जाता है या विपक्ष पक्ष पर हावी हो जाता है
आपस में नूरा कुश्ती का खेल चल रहा था लेकिन एक व्यक्ति ने पूरे जिले के चाहे वकील हो चाहे व्यापारी हो शिक्षक हो सब समाज के लिए एक हितैषी बनकर जो खड़ा होता है हालांकि खड़ा होना उनके लिए बड़ा दुखदाई हुआ था कई चीजों का नुकसान उन्होंने अपनी जिंदगी में उठाया आज हम बात करेंगे उन्हीं इंस्पेक्टर से जो कि उत्तर प्रदेश पुलिस से रिटायर्ड हो चुके हैं … पूरी कहानी जानने के लिए नीचे वीडियो पर क्लिक करें