जहानाबाद । अरवल 18 मार्च 1999 की यह बात है बिहार प्रदेश का एक जिला लगता है जहानाबाद इसको आजकल लोग अरवल के नाम से जानते हैं और उसी का एक गांव लगता है सेनारी। सेनारी गांव के उस रात की बात है 18 मार्च 1999 को बड़ी संख्या में इस गांव को लोग घेर लेते हैं इस गांव को घेरने के बाद बारी बारी से चुन चुन कर कुछ गांव वालों के पास जा रहे थे वहां से व्यक्तियों का चुनाव कर रहे थे 40 लोगों का चुनाव किया जाता है वह लोग अपने आपको बचाने और उनसे छूटने की कोशिश भी कर रहे थे लेकिन किसी के हाथ में बंदूक थी तो किसी के बच्चे के कनपटी पर लगी हुई थी इसलिए मां बाप ने बिना किसी शोर-शराबे के उनके पास तक पहुंच जाते हैं
40 लोगों को गांव से बाहर निकाला जाता है निकालने के बाद एक नहर के किनारे लेकर आते हैं और 40 की 40 लोगों की टीम को तीन हिस्सों में बांट दी जाती है तीन हिस्सों में टीम बांटने के बाद एक एक व्यक्ति का पेट काटा जाता है चीरा जाता है जैसे पेट चीर रहे थे आसपास के जितने साथी थे जिन्हें लग रहा था कि हमारा भी नंबर आएगा
जोर-जोर से चीखने लगते हैं चिल्लाने लगते हैं और बचाने की अपील करने लगते हैं क्योंकि गांव से ज्यादा ताकतवर वह लोग थे उनके हाथों में हथियार थे उनके हाथों में चाकू थे उनके हाथ में बम थे लेकिन उन्हें लग रहा था गांव वालों को कि हम भी जाएंगे तो शायद हम भी मारे जाएंगे एक-एक का पेट काट रहे थे एक-एक को मार रहे थे। धीरे-धीरे करके लोगों की चीखने और चिल्लाने की आवाज थी वह शांत हो जाति हैं … पूरी कहानी जानने के लिए नीचे वीडियो पर क्लिक करें