हरिद्वार, उत्तराखंड साल 1981 में अमिताभ बच्चन की फिल्म आई थी जिसका नाम था लावारिस और लावारिस फिल्म का एक गाना था एक गीत था जिसका कोई नहीं होता उसका खुदा होता है यारों यह मैं नहीं कहता किताबों में लिखा है यारों दरअसल आज की कहानी जो हम आपको सुनाने जा रहे हैं इस कहानी के अंदर कुछ ऐसा ही होता है एक मां और बेटे लावारिस होते हैं उनका कोई नहीं होता एक दरोगा से उनकी मुलाकात होती है दरोगा ने सोचा कि इनके पास जो पैसा है इनके पास जो दौलत है इनका कत्ल करुंगा और मारकर इनको फेंक दूंगा इस घटनाक्रम का कभी खुलासा नहीं होगा लेकिन एक और पुलिस वाला देवदूत बनकर सामने आता है इस पूरे घटनाक्रम का खुलासा करता है
जब सच दुनिया के सामने आता है तो लोगों को यकीन नहीं हो रहा था कि एक दरोगा ने एक अंधी मां का किस तरह से कत्ल किया वह चीख चीख के अपने बेटे से अपील कर रही थी लेकिन उसकी आंखों में ना डर था ना कानून का कोई खौफ था उसे लग रहा था कि जो भी कर रहा हूं शायद इस घटनाक्रम का कभी खुलासा ही नहीं होगा और जब खुलासा होता है तो पुलिस उनका चेहरा सामने लेकर आती है और उनका क्रूड चेहरा जब लोगों को पता चलता है तो लोगों को यकीन नहीं हो रहा था कि इतने बुरे लोग भी इस दुनिया में मौजूद हैं
आज की जो घटना हम आपको सुनाने जा रहे हैं ये सच्ची घटना है उत्तराखंड प्रदेश का एक जिला है हरिद्वार दरअसल ये हरिद्वार की ही सच्ची घटना है बात कर रहा हूं 14 फरवरी 2024 की । एक इलाका है अकबरपुर दरअसल नाले में एक लाश तैर रही थी और जैसे ही लोगों की नजर उस लाश पर पड़ती है लोगों ने पुलिस को सूचना दी पुलिस मौके पर आती है उस लाश को निकाला जाता है और उसकी पहचान करने का लगातार प्रयास चल रहा था … पूरी कहानी जानने के लिए नीचे वीडियो पर क्लिक करें