यह बात साल 2015 की है सोशल मीडिया हो इलेक्ट्रॉनिक मीडिया हो या फिर अखबार हो एक नाम नूरुल हसन बहुत तेजी के साथ सुर्खियां बटोर रहा था दरअसल नूरुल हसन उत्तर प्रदेश के जिला पीलीभीत का एक गांव लगता है हर रायपुर वहां का रहने वाला होता है हाई स्कूल इंटर की पढ़ाई हिंदी मीडियम से की थी और पढ़ने में बेहद होशियार होता है परिवार बेहद गरीब होता है इस लड़के ने सोचा कि कुछ बड़ा किया जाए कुछ अच्छा किया जाए इसके लिए कोशिश करता है पढ़ाई करता है तो नंबर इंजीनियरिंग में आ जाता है और कुछ साल के बाद वह इंजीनियर बन जाता है
इंजीनियर बनने के बाद उसे लगता है कि अभी कुछ छोटा है और कुछ मेहनत की जाए और जो लड़का वह पढ़ाई में लगातार अच्छा तो था ही मेहनत करता है तो साइंटिस्ट भी बन जाता है साइंटिस्ट बनने के बाद उसने सोचा कि अभी कुछ हल्का रहा है कुछ और मेहनत की जाए कुछ और कामयाबी हासिल की जाए अब उसने सिविल सर्विस की तैयारी में जुट जाता है यूपीएससी का एग्जाम देता है पहले साल में तो क्लियर नहीं हो पाता बिना किसी कोचिंग के दूसरे साल मेहनत करता है और आखिरकार वह यूपीएससी में पास हो जाता है
उसको रैंक आती है 625 रैंक और जैसे ही 625 रैंक उसको मिलती है तो वो लड़का अब आईपीएस ऑफिसर चुन लिया जाता है और केदर मिलता है महाराष्ट्र का महाराष्ट्र का केडर मिलता है सोशल मीडिया पर उस लड़के के बारे में तमाम जानकारियां साझा की जाने लगती हैं कहां से निकला कैसे निकला एक चपरासी का बेटा आईपीएस ऑफिसर बन गया किस तरह के माहौल में रहकर उसने पढ़ाई की थी… पूरी कहानी जानने के लिए नीचे वीडियो पर क्लिक करें