मणिपुर 3 मई 2003 को लाखों लोग मणिपुर के 10 जिलों में सड़कों पर उतरे हुए थे उनकी सिर्फ एक ही मांग थी कि जो मेती समुदाय है उसको अनुसूचित जनजाति का दर्जा ना दिया जाए यदि उसको दर्जा दिया गया तो जो हम लोग हैं यानी कि कुकी समुदाय के लोग हैं वह बेकार हो जाएंगे उनकी नौकरियां छिन जाएंगी उनकी जमीन हथयाली जाएंगी किसी के लायक नहीं रहेंगे इसलिए वह एक आदिवासी एकता मार्च के नाम से पूरे 10 जिलों में विरोध प्रदर्शन कर रहे थे और जैसे ही विरोध प्रदर्शन की बात पता चलती है मेती समुदाय को, तो फिर ये लोग आमने सामने आ जाते हैं और आमने सामने आने के बाद एक दूसरे के खून के प्यासे हो जाते हैं
3 मई को यह वारदात शुरू होती है और लगातार चलती रहती है जहां जिसका मौका मिल रहा था वहां उसको मार रहा था जहां जिसका मौका मिल रहा था वहां उसके घरों को जला रहा था जहां जिसका मौका मिल रहा था वहां उसकी बहन उसकी बेटियों के साथ बदतमीजी की जा रही थी बलात्कार किए जा रहे थे
सब कुछ ऐसी चल रहा था सरकार बिल्कुल चुप्पी साध जाती है और इस मामले पर कुछ भी नहीं बोलती पुलिस भी कहीं ना कहीं चुप्पी साध जाती है पुलिस भी रुख देख रही थी कि किसका रुख मजबूत है जहां जिसका रुख मजबूत होता है पुलिस उसी तरह से काम करती है
इस मामले में भी कुछ ऐसा ही होता है BBC की रिपोर्ट आती है की इस हिंसा से अलग अलग जगहों पर लगभग 142 लोगों की मौत हो चुकी है… पूरी कहानी जान्ने के लिए नीचे वीडियो पर क्लिक करें