हल्द्वानी, उत्तराखंड 8 फरवरी 2024 का यह वाक्य है उत्तराखंड के पुलिस और प्रशासन नैनीताल जिले के कस्बा या शहर कह सकते हैं हल्द्वानी वहां पर एक थाना लगता है बंद भूलपुरा वहां पर पुलिस प्रशासन की टीम जाती है दरअसल टीम को हटाना था अतिक्रमण अतिक्रमण हटाने के दौरान ही मजार और मदरसा भी सामने पड़ जाता है और इसी बात को लेकर कहा सुनी शुरू हो जाती है और देखते ही देखते हिंसा फैल जाती है हिंसा कुछ इस कदर फैलती है कि आगजनी फैल जाती है साथ ही जो जिसके हाथ में आरहा था वह पुलिस और प्रशासन पर वैसे ही मरने की कोशिश कर रहा था
जवाबी कार्रवाई में भी पुलिस को गोलियां चलानी पड़ रही थी और देखते ही देखते लगातार गोलियां चल रही है तो कहीं कोई वहां जल रहा है कहीं किसी का घर जल रहा है कहीं किसी का नुकसान हो रहा है और इसी बीच में लगभग छह लोग इस हिंसा में मारे जाते हैं 200 से ज्यादा लोग गंभीर रूप से घायल हो जाते हैं हिंसा को पुलिस प्रशासन ने किसी तरह से शांत कराया शांत करने के बाद इसी बीच में जो घायल होते हैं उनको उपचार के लिए अस्पताल पहुंचाया जाता है और जो लोग मर जाते हैं उन लोगों को पोस्टमार्टम हाउस पहुंचाया जाता है
डॉक्टर साहब पोस्टमार्टम कर रहे थे पोस्टमार्टम करते-करते डॉक्टर साहब की नजर एक लाश पर पहुंचती है उस लाश को देखने के बाद वह तुरंत ही पुलिस के पास फोन करते हैं कहते हैं कि मैं एक लाश देख रहा हूं इस लाश को देखने के बाद कुछ मुझे अटपटा नजर आता है ऐसा लगता है जैसे कि ये हिंसा में नहीं मारा गया बल्कि इसके साथ कुछ और हुआ है दरअसल पुलिस वाले पूछते हैं कि क्या बात है यानी की यहां के जो एसएसपी होते हैं पूछते हैं तो बताता है डॉक्टर की इसके राइट साइड में जो पीछे का हिस्सा होता है वहां एक नहीं दो नहीं बल्कि तीन गोलियां ऐसे मारी है जैसे किसी को बहुत अच्छे से निशाना आता है… पूरी कहानी जानने के लिए नीचे वीडियो पर क्लिक करें