पाकिस्तान के लाहौर में एक मजार है एक पीर बाबा की बड़ी मान्यता है जहां पर सैकड़ों लोग आते हैं जहां पर बड़ी संख्या में लोग आते हैं इसी में मजार पर एक मस्जिद के इमाम भी आए हुए थे और उन इमाम साहब से मिलने के लिए बड़ी संख्या में लोगों की लाइन लगी हुई थी सब आते हैं हाथ मिलाते हैं उन्हें सलाम कर रहे थे ऐसे मुसाफा करते करते एक व्यक्ति से उनका आमने सामने होता है और जब आमना-सामना हो रहा था तो उस व्यक्ति को देखते हैं तो उसकी बड़ी सी दाढ़ी होती है नमाज पढ़ने से उसके माथे पर एक निशान पड़ा हुआ था दोनों आपस में दुआ सलाम करते हैं और एक दूसरे से बातचीत करते हैं।
बातचीत करते करते इमाम साफ कहते हैं कि तुम मुसलमान नहीं हो तुम हिंदू हो जैसे ही यह बात वह दूसरा व्यक्ति सुनता है तो एकदम से परेशान हो जाता है कहता है कैसी बात कर रहे हैं मैं तो पक्का सच्चा मुसलमान हूं पांच वक्त की नमाज पढ़ता हूं। कहते हैं नहीं तुम पक्के मुसलमान हो ही नहीं ना तुम हिंदू हो और ना मुसलमान जैसे ही यह बात वह व्यक्ति सुनता है तो थोड़ा घबरा जाता है।
तभी पहला व्यक्ति यानी कि इमाम साहब कहते हैं घबराने की जरूरत नहीं है आओ मेरे साथ चलो तभी मजार से कुछ ही दूरी पर दो-चार गलियों को छोड़कर एक घर पड़ता है वह अपने घर में लेकर जाते हैं दरवाजा खुलवाते हैं घर में कोई नहीं था पूरा सुनसान था और उसे खुलवाने के बाद उनसे कहते हैं कि मैंने तुम्हारे कान देखे हैं कान तुम्हारे कान छिदे हुए हैं इन्हीं कानों को देख कर मैंने अंदाजा लगाया कि तुम मुसलमान नहीं हो सकते। वह कहता है कि यह तो आपका अंदाजा सही है कि यह हिंदुओं में ही छिदवाते हैं लेकिन मैं पहले हिंदू था अब मैं मुसलमान हो गया हूं इसलिए पांच वक्त की नमाज पढ़ता हूं पूरी इमानदारी से जो भी हमारा दीन कहता है उस दीन के नक्शे कदम पर चलता हूं।… पूरी कहानी जानने के लिए नीचे वीडियो पर क्लिक करें।