मलप्पुरम, केरल। कभी कभी कुछ घटनाएं इतिहास बन जाती हैं। ऐसी ही ऐतिहासिक घटना केरल प्रदेश के जिला मलप्पुरम के चेलम्बरा दक्षिण मालब्र में साल 2007 के अंतिम दिन हुई। चार चोरों ने बहुत ही शातिराना अंदाज में केरल ग्रामीण बैंक से 80 किलो सोना और 25 लाख रुपये की नकदी पर हाथ साफ कर दिया था। घटना का खुलासा करने में पुलिस को 56 दिन का समय लगा। जो हकीकत लोगों के सामने आई वह आश्चर्यचकित करने वाली दास्तां होती है।
एक महिला समेत चार लोग मिलकर शहर के अलग—अलग हिस्सों का सर्वे करते हैं, ताकि वह किसी बैंक में रॉबरी कर सकें। इसके लिए उन्होंने चेलम्बरा दक्षिण केरल ग्रामीण बैंक को चुना। यह बैंक प्रथम तल पर था, जबकि ग्रांउड फ्लौर पर किराये की जगह खाली थी। तब इन लोगों ने बिल्डिंग मालिक से यह कहते हुए जगह ली कि यह लोग चर्चित रेस्टोरेंट खोलना चाहते हैं। इसके लिए बिल्डिंग मालिक को एक लाख रुपये बतौर नकद भी दिया गया। इसके बाद होटल के लिए निर्माण का कार्य शुरू हो गया और मुख्य द्वार पर एक बोर्ड लगा दिया गया कि आने वाली 8 जनवरी 2008 को एक रेस्टारेंट का उदघाटना किया जाएगा। तब तक के लिए खेद है। निर्माण कार्य शुरू हो जाता है। शोर शराबे से आसपास के लोगों को दिक्कत भी हो रही थी, लेकिन बोर्ड देखने के बाद कोई भी ऐतराज नहीं कर रहा था। फिर उन्होने 29 दिसंबर 2007 की रात को छत काटकर स्ट्रांग में घुस जाते हैं और 80 किलो सोना तथा 25 लाख रुपये की नकदी पर हाथ साफ करके रातोंरात गायब हो जाते हैं। किसी को शक तक नहीं होता, लेकिन 31 दिसंबर की सुबह को जैसे ही बैंक खुलता है तब मैंनेजर को रॉबरी की जानकारी होती है। स्ट्रांग रूम में जय माओ के नाम से संदेश लिखा था, ताकि माओवादियों पर शक जाए। मलप्पुरा के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक पी विजयां डकैतों का स्कैच बनवाते हैं, सैकड़ों बदमाशों को रडार पर लिया जाता है, हजारों लोगों से पूछताछ होती है, कई टीमें काम करती हैं, लेकिन फिर भी सफलता नहीं मिलती।
इसी बीच हैदराबाद के एक होटल से फोन आता है कि लूटेरे होटल में छुपे हैं। पुलिस वहां जाती तो है लेकिन पुलिस को केवल एक किलो सोना मिलता है। कोई व्यक्ति नहीं मिलता। माओवादयियों के नाम से पुलिस को गुमराह किया जाता है। इसके बाद पुलिस को अलग अलग प्रदेशों के अलग होटलों से फोन आते रहते हैं। पुलिस को मालूम हो जाता है कि गुमराह करने के लिए ही किसी ने चाल चली है। तब पुलिस फोन खंगालने शुरू करती है करीब 22 लाख फोनों में से 1056 फोन शक के दायरे में आते हैं, जिनमें से एक फोन नंबर कोझिकोड का मिलता है। जहां पुलिस रेड मारती है तब जोसेफ उर्फ जैसन उर्फ बाबू का नाम सामने आता है और चारों अपराधी पुलिस की गिरफ्त में आते हैं, जिनकी निशानदेही के आधार पर लूट का 80 प्रतिशत माल बरामद करके इन्हें जेल भेजा जाता है। पूरे घटनाक्रम में आईजी पी विजयानंद, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक पी विजयां, एएसपी केके इब्राहिम, एसआई अनवर हुसैन, एमपी मोहनचंद्रन, इंस्पेक्टर विक्रमन जांच पड़ताल करके अपराधियों को सलाखों तक पहु्ंचाते हैं।