भीलवाड़ा, राजस्थान शाम के करीब 4:00 बजे से लेकर रात के 12:30 बज जाते हैं एक मां अपनी बेटी को तलाश कर रही थी तलाशते तलाशते वो गांव से लेकर जंगल, जंगल से खेतों पर हर जगह, ऐसी कोई जगह नहीं थी जहां उसने अपनी बेटी को तलाश नहीं किया आखिरकार रात के 12:30 बजे के आसपास का वक्त हो रहा था और बेटी की चप्पल मिल जाती है जब ये चप्पल मिलती है मां देखती है कि एक चप्पल तो मिल गई लेकिन बेटी कहीं आसपास ही होगी तभी माँ की नजर पड़ती है पांच भट्टियों पर
जो कोयल की पांच भट्टियां थी उनमें से एक भट्टी तो जल रही थी बाकी चार भट्टी ऐसी थी जो नहीं जल रही थी माँ ने जाकर उसे करीब से देखा क्योंकि वह जो तारीख थी वह जो दिन थे वह जो महीने थे उस वक्त वह भट्टी जलती नहीं थी अचानक से इस तरह की भट्टी जलना जब भट्टी के पास जाती है तो भट्टी से अजीब तरह की दुर्गंध आ रही थी और मां ने जैसे ही इस भट्टी को देखा उसके बाद फिर एक बांस लिया और बांस लेने के बाद उस भट्टी को खोलने की कोशिश की तो देखती क्या है एक चीज चमक रही थी और जैसे ही चमकती चीज को बांस से निकाला तो पता चलता है कि एक कड़ा था वह भी चांदी का
उस लड़की के सगे चचेरे भाई ने जब देखा उसने कहा कि चाची यह तो कड़ा मैंने ही दिया था यह तो मेरी बहन का कड़ा है बस इतना था उसके बाद फिर उन्होंने फिर से भट्टी में उस बांस को डाला और कुछ निकालने की कोशिश कर रहे थे तो एक…पूरी कहानी जानने के लिए नीचे वीडियो पर क्लिक करें